निशा आयी

संध्या चली रजनी आयी।
काली आँचल को फैलायी।।

रजनी अपनी रंग दिखायी।
सकल नींद रसपान पिलायी।।

निशा में तारा टिमटि मायी।
निशा में चाँद निकल आयी।।

जुगनी निशा में जगमगायी।
झिगुर निशा में गीत सुनायी।।

उल्लू निशा में मनमुस्कायी।
पवन निशा में मस्त लहरायी।।

संध्या चली रजनी आयी।
काली आँचल को फैलायी।।

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