ये कैसी मदहोशी लग रही है


ये कैसी मदहोशी लग रही है,
आँखो में प्यार की नशा चढ़ रही है।
संजनी की सपने सपने लिए,
उनकी ख्वाबो में डूब रही है।

मन बेचैन सी होने लगी,
दिल की धड़कन बढ़ने लगी।
ये कैसी मदहोशी लग रही,
आँखो में प्यार की नशा चढ़ रही।

रातो की नींद उड़ने लगी,
संजनी की ख्यालो में डूबने लगी।
भूख और प्यास खो गयी,
प्यार की नशा बढ़ने लगी।

दिल किसी से मिलने को तड़प रही,
प्यार की आग में जल रही।
ये कैसी मदहोशी लग रही,
आँखो में प्यार की नशा चढ़ने लगी।
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रचना दिनांक 11.05.2015

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