शरीर हमारा रथ है, मन हमारा सारथी। कर्म अच्छे होगे, तो दुनिया करेगा आरती। "मेरा हिंदी रचना संचय"
निर्धन रोटी मांगता, धनी मांगता भूख। तरुवर तपता धूप से, अति से जाता सूख।।
क्रोध कभी न कीजिये, रखिये मन को शांत। देख शांत चित्त वह रिपू, खा जायेगा मात।।
-हेमलाल साहू
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