कितनी प्यारी कितनी सुन्दर हो,
तुम तो मेरे दिल की अन्दर हो।
तुम तो मेरे मन की आवाज हो,
तुम तो मेरे दिमाग की सरताज हो।
ना जाने कहा से आयी हो,
जीवन हम सफर बन गयी हो।
जब मन पड़े आ जाती हो,
मेरे कलम को पहचान दी हो।
मेरे मन को खुब भाती हो,
ना लिखू फिर भी लिख जाती हो।
जब भी तुम सामने आती हो,
एक नयी ऐसास लाती हो।
हमेशा नयी ताजगी लाती हो,
कविता नाम अपना बताती हो।
कितनी प्यारी कितनी सुन्दर हो,
तुम तो मेरे दिल की अन्दर हो।
तुम तो मेरे दिल की अन्दर हो।
तुम तो मेरे मन की आवाज हो,
तुम तो मेरे दिमाग की सरताज हो।
ना जाने कहा से आयी हो,
जीवन हम सफर बन गयी हो।
जब मन पड़े आ जाती हो,
मेरे कलम को पहचान दी हो।
मेरे मन को खुब भाती हो,
ना लिखू फिर भी लिख जाती हो।
जब भी तुम सामने आती हो,
एक नयी ऐसास लाती हो।
हमेशा नयी ताजगी लाती हो,
कविता नाम अपना बताती हो।
कितनी प्यारी कितनी सुन्दर हो,
तुम तो मेरे दिल की अन्दर हो।
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