फिर महगाई आयी

फिर महगाई आयी,
लोगो में मायूसी छायी।
पेट्रोल की दाम बढ़ते ही,
चारो तरफ महगाई छायी।

आम जनता की जेब पर,
महगाई ने फटकार लगायी।
भाजपा सरकार की अच्छे दिन में,
आम जनता ने महगाई की मार खायी।

दिन बदले रात बदले बदलगयी सरकार,
कुछ ना बदली तो वह है महगाई की मार।
सभी वस्तुओ की किमत बढ़ती,
छु रहे है भाव आसमान।

मुनाफा कमा रहे मिलावट खोरी,
कालाबजारी को बढ़ावा मिल रही।
मिलावट कर कम दाम में बेच रही,
अपने आप को देश सेवा बताती।


फिर महगाई आयी,
लोगो में मायूसी छायी।
पेट्रोल की दाम बढ़ते ही,
चारो तरफ महगाई छायी।



 











रचना दिनांक 16.05.2015

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