मै वर्षा रानी आई हूॅ

मै वर्षा रानी आई हूॅ।
खुशियो कि सौगात लाई हूॅ।।
प्यास रही वसुंधरा को मै।
पानी पीलाने आई हूॅ।।

पौधौ की सुखी डालियो मे।
हरियाली कि रंग लाई हूॅ।।
मैने सुखी हुई घासो मे।
प्राणो की दिपक जलाई हूॅ।।

मै मिट्टी के धूल कणो मे।
नई सुगन्ध को महकाई हूॅ।।
मै हर खेतो मे बीजो की।
नई फसलो को उगाई हूॅ।।

तालाब, खेत, बॉध, नदी मे।
मैं पानी को भर आयी हूॅ।।
हर प्राणी, जीव जन्तुओ मे।
एक नई मुस्कान लाई हूॅ।।


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