शरीर हमारा रथ है, मन हमारा सारथी। कर्म अच्छे होगे, तो दुनिया करेगा आरती। "मेरा हिंदी रचना संचय"
भारत में तू पल रहे , भारत का ही खाय। ये ओवेसी श्वान तू , भूल इसे क्यों पाय।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें