शरीर हमारा रथ है, मन हमारा सारथी। कर्म अच्छे होगे, तो दुनिया करेगा आरती। "मेरा हिंदी रचना संचय"
देवो के तुम देव हो, जग के हो तुम नाथ। भक्तो के दुख को हरो, हे शिव भोले नाथ।।
शरण आपका मै रहूँ, तुम हो मेरे नाथ। सदा ज्ञान मिलते रहे, रहे आपका साथ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें