पल पल अंबर नजरे जाती।
मेघा देख आश जग जाती।।
मेघा पानी नहि बरसाती।
आश निराश में बदल जाती।।
मेघा रूठ की चली जाती।
किसान की चिन्ता बढ़ जाती।।
सूख रही फसल बीन पानी।
आश टूट रहा बीन बारिश।।
कभी प्रभू की पूजा कराती।
बारिश के लिए दुआ लगाती।।
देखो बारिश फिर से आयी।
फसल लहलहाती मुस्कायी।।
सुखी खेत पानी भर आयी।
कृषक की चेहरे खिलखिलायी।।
अब चिन्ता नही हमें भाई।
प्रभू ने बारिश जो कराई।।
मेघा देख आश जग जाती।।
मेघा पानी नहि बरसाती।
आश निराश में बदल जाती।।
मेघा रूठ की चली जाती।
किसान की चिन्ता बढ़ जाती।।
सूख रही फसल बीन पानी।
आश टूट रहा बीन बारिश।।
कभी प्रभू की पूजा कराती।
बारिश के लिए दुआ लगाती।।
देखो बारिश फिर से आयी।
फसल लहलहाती मुस्कायी।।
सुखी खेत पानी भर आयी।
कृषक की चेहरे खिलखिलायी।।
अब चिन्ता नही हमें भाई।
प्रभू ने बारिश जो कराई।।
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