ये यौवन की आग देख लो, होती खतरनाक को।
पल में बुझती पल में लगती, देती तड़प रात को।।
ये यौवन मोहित कर जाती, हर ऐक इंशान को।
ज्ञानी ध्यानी सब भुल जाते, यौवन की पाप को।।
कितनी प्रब्धय यौवन होती, मन में लगी आग को।
विवेक भी काम नही करती, जब यौवन प्रवाह को।।
अच्छे बुरे को भूल जाते, बढ़ाते है आग को।
कुछ पल को खुशिया लाती है , फिर करती हैरान को।।
अपनी यौवन नही लगाये, कभी अच्छे काम को।
यौवन में है ताकत होती, आते बड़ी काम को।।
अब तो अपने विवेक लाओ, पहचनो यौवन को।
मत भूलो देश के वीर हो, पकड़ो नेक राह को।।
- हेमलाल साहू
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