माहिया
मैं तो देख रहा हूँ
मैं भी सिख लेता हूँ
माहिया लिख रहा हूँ।
मैं तो दिलवाला हूँ
मन का मै मतवाला
बस कृष्ण दीवाना हूँ
खोज रहा मैं उनको
कहा कहा मैं ढूँढू
बसा है मेरे मन को
तड़प तड़प में बढ़ती
देखो कितनी प्यार
प्यार ही तड़प होती
देखो रंग चढ़ा है
मोहन ओ श्याम का
उनसे बड़ा प्यार है
-हेमलाल साहू
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