शरीर हमारा रथ है, मन हमारा सारथी। कर्म अच्छे होगे, तो दुनिया करेगा आरती। "मेरा हिंदी रचना संचय"
दौलत जिनका नाम है, चलती फिरती नाव। चली गयी तो धूप है ,रुक गयी तो छाँव।।
देखो पैसे के लिए, भाग रहे सब आज। बेच दिए इंसानियत ,नही रही अब लाज।।
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