शरीर हमारा रथ है, मन हमारा सारथी। कर्म अच्छे होगे, तो दुनिया करेगा आरती। "मेरा हिंदी रचना संचय"
प्यासा मेरा गाँव, देखलौ खेत सूखता। बरखा रानी ऊठ, अभी क्यों नहीँ बरसता।। एक छोर में खूब, बाढ़ है देखो आई। पानी में ही लोग, देखलौ जान गवाई।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें