शरीर हमारा रथ है, मन हमारा सारथी। कर्म अच्छे होगे, तो दुनिया करेगा आरती। "मेरा हिंदी रचना संचय"
पंछी जैसे प्रीत ना, रखिये जग में हेम। नदिया सूखी देखकर, चले बदलने प्रेम।।
मछली जैसे प्रीत हो, जीवन जल के संग। जैसा भी हालात हो, लड़ते रहते जंग।।
दिनांक 15/03/2018 -हेमलाल साहू
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