माहिया

जिससे करता प्यार हूँ
लब्जो में उनका नाम
जिनका मैं दीवाना हूँ

हर पल पल ओ आती
जाने क्यों ख्वाबो में
मुझे ही क्यों सताती

मिलते सपने रोज को
ओ उड़ा ले जाती है
रोज रातो कि नीद को

बैठे थे बस स्टाफ को
हुई पहली मुलाकात
हसीन थी ओ रात  को

-हेमलाल साहू

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