जन्म दिये माता पिता, लाये जग संतान।
पीड़ा अपनी भूल वो, प्यार करे जी जान।।
भूखे प्यासे खुद रहे, दिनरात करे काम।
चिड़िया जैसे चूँग के, दाना लाये शाम।।
अपनो की परवाह में, भूल गये आराम।
कब सूरज ढलते गये, हो आई है शाम।।
पाई पाई जोड़ कर, धन का किये प्रबन्ध।
करें भविष्य संवारने, श्रम से नित अनुबंध।।
अपनी पूरी जिंदगी, कर बच्चों के नाम।
देख ऋणी कैसे बने, रहे चुकाते दाम।।
फिर भी रहती है कमी, माँगे बच्चे दाम।
अपने ही माँ बाप को, करते वे बदनाम।।
भूले जो माँ बाप को, वह कैसी संतान।
ला कर जिसने जगत में, दी तुमको पहचान।।
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