इंशान

बना आदमी है यहाँ, देख लो बईमान।
देखो धोखा दे रहे, नहीं रहा इंशान।।

पैसो के खातिर बिका, देखो अब इंसान।
मानवता को खा गये, बन बैठे शैतान।।

-हेमलाल साहू

-हेमलाल साहू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें